वसंत की एक खूबसूरत सुबह, एक व्यापारी ने अपने गधे को नमक की बोरियों से लाद कर बाजार जाने के लिए उन्हें बेचने के लिए भेजा। व्यापारी और उसका गधा साथ-साथ चल रहे थे। अभी वे ज्यादा दूर नहीं चले थे कि रास्ते में एक नदी के पास पहुँचे।
दुर्भाग्य से, गधा फिसल गया और नदी में गिर गया और उसने देखा कि उसकी पीठ पर लदे नमक के थैले हल्के हो गए।
व्यापारी के पास घर लौटने के अलावा और कुछ नहीं था, जहां उसने अपने गधे पर नमक की और बोरियां लाद दीं। जैसे ही वे फिसलन भरे नदी के किनारे पहुंचे, अब जानबूझ कर गधा नदी में गिर गया और नमक की सारी बोरियाँ उसकी पीठ पर फेंक दी।
व्यापारी को जल्दी ही गधे की चाल का पता चल गया। वह फिर से घर लौट आया लेकिन अपने गधे को स्पंज के बैग के साथ फिर से लाद दिया।
मूर्ख, चालाक गधा फिर से अपने रास्ते पर चल पड़ा। नदी में पहुंचते ही वह फिर पानी में गिर गया। लेकिन बोझ हल्का होने की बजाय और भारी हो गया।
व्यापारी उस पर हंसा और बोला, 'मूर्ख गधे, तुम्हारी चाल का पता चल गया था, तुम्हें पता होना चाहिए कि, जो बहुत चालाक होते हैं, वे कभी-कभी खुद पर हावी हो जाते हैं'