एक दिन राजा ऊँट पर सवार होकर निकला। कुछ दास राजा के सामने चले। अन्य राजा के पीछे चले गए। काला गुलाम अपने मालिक - राजा के पास घोड़े पर सवार था।
राजा के पास एक बक्सा था। उसमें मोती थे। रास्ते में एक संकरी गली में डिब्बा नीचे गिर गया। यह टुकड़ों में टूट गया। मोती जमीन पर लोट गए।
राजा ने अपने दासों से कहा। “जाओ और मोती ले लो। मैं उन्हें अब और नहीं चाहता," राजा ने कहा।
दासों ने दौड़कर मोती बटोर लिए। वे उन मोतियों को ले गए। काले दास ने अपना स्थान नहीं छोड़ा।
वह अपने स्वामी के पास था। उसने अपने स्वामी की रक्षा की। उसने अपने स्वामी के जीवन की परवाह की। उसने मालिक के मोतियों की परवाह नहीं की। वह सच्चा सेवक था।
राजा ने नौकर के रवैये को देखा और उसे कई उपहार दिए।